Atma-Bodha Lesson # 43 :
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आत्म-बोध के 43rd श्लोक में आचार्यश्री हमें एक अत्यंत महत्वपूर्ण एवं प्रचलित प्रश्न का उत्तर दे रहे हैं। शास्त्र के ज्ञान की क्या आवश्यकता होती है ? क्या हम लोग सीधे ध्यान और समाधी का अभ्यास नहीं कर सकते हैं? इसका उत्तर एक दृष्टांत से देते हैं - जैसे सूर्य के उदय से पूर्व उनका अरुण नामक सारथि अपना रथ लेकर आता है और ज़्यादातर अन्धकार को दूर कर देता है और फिर सूर्य देवता उदित होते हैं। उसी प्रकार से हमें पहले वेदान्त का अध्यन करकेअपने अन्दर अनेकानेक मोह दूर करने होते हैं, तत्पश्च्यात अज्ञान को दूर करते हैं - जिससे आत्मा का अपरोक्ष-साक्षात्कार होता है।
इस पाठ के प्रश्न :
१. सूर्य उदय से पूर्व अरुण का आना क्या दिखाता है ?
२. वेदांत का अध्यन अरुण से क्यों तुल्य है ?
३. वेदांत का अध्यन न करने से क्या नुक्सान होता है?
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