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बिस्व भरण-पोषण कर जोई। ताकर नाम भरत अस होई।। गई बहोर गरीब नेवाजू। सरल सबल साहिब रघुराजू।। भाव कुभाव अनख आलसहु। नाम जपत मंगल दिशि दसहू।। जेहि पर कृपा करहि जनु जानी। कवि उर अजिर नचावहि बानी।। मोरि सुधारिहि सा सब भांती। जासु कृपा नहि कृपा अघाती।। क्‍या हार में क्‍या जीत में किंचित नहीं भयभीत मैं संधर्ष पथ पर जो मिले यह भी सही वह भी सही। वरदान माँगूँगा नहीं।। लघुता न अब मेरी छुओ तुम हो महान बने रहो अपने हृदय की वेदना मैं व्‍यर्थ त्‍यागूँगा नहीं। वरदान माँगूँगा नहीं।। चाहे हृदय को ताप दो चाहे मुझ ...
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किसान कर्ज में क्यों है। एक किसान नेता का एक पॉडकास्ट ने interview किया और सिर्फ भावनाओं पर ध्यान दे अगर आपको कुछ कहना तो सम्पर्क करें आपका interview सबके काम का रहेगा।
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